क्या है बहेड़ा… और इसके फायदे क्या है ?
आप में से अधिकांश लोगों ने बहेड़ा (बिभीतकी) का नाम तो सुना होगा !! क्या आप जानते है बहेड़ा के फायदे क्या-क्या है? बहेड़ा त्रिफला में से एक महत्वपूर्ण जड़ी बूटी है जो इंसान के सर्दी-खांसी, ह्रदय रोग, मधुमेह, एवं पेट सम्बन्धी समस्याओं के लिए मुख्यतः उपयोग किया जाता है। बहेड़ा में वात, पित्त और कफ तीनों दोषों को दूर करने की क्षमता है, लेकिन इसका मुख्य प्रयोग कफ-प्रधान विकारों में होता है।
बहेड़ा के औषधीय गुण व लाभ- Baheda benefits in hindi
बहेड़ा का फल (baheda fruit), छाल व बीज सभी हिस्से कई बिमारियों को दूर करने के लिए उपयोग में लिए जाते है। इसमें एंटीबैक्टीरियल, एंटीऑक्सीडेंट और इम्यूनिटी बूस्ट करने वाले गुण पाए जाते हैं। एंटीबैक्टीरियल गुण से भरपूर यह नुकसानदायक बैक्टीरिया और पेट की कीड़ों (bahera benefits for stomach worms in hindi) को मारने का काम करता है। इसके फल मोतियाबिंद की समस्या में अति लाभकारी माना जाता है। इसकी छाल खून की कमी, एनीमिया, व श्वेत कुष्ठ में फायदेमंद होता है तथा इसके बीज कड़वे व नशीले होते है जो अत्यधिक प्यास, उल्टी, तथा दमा रोग का नाश करने में मदद करते हैं।
विस्तार में जानें बहेड़ा (बिभीतकी) का परिचय- Introduction of baheda in detail
बहेड़ा (Baheda tree) का वानस्पतिक नाम Terminalia bellirica (टर्मिनेलिया बेलिरिका) Syn-Myrobalanus bellirica Gaertn है। यह Combretaceae (कॉम्ब्रेटेसी) कुल का एक औषधीय वृक्ष है। बहेड़ा कफनाशक और पाचक हैं। बहेड़ा (Bahera) में विरेचक (Laxative) गुण भी होता है। यह पाचन शक्ति को मजबूत करता है। वैसे तो पाचन शक्ति बढ़ाने वाली और भी कई जड़ीबूटियां है पर कोई भी बहेड़ा से बढ़कर नहीं है।
बहेड़ा फल व पाउडर के फायदे- Benefits of Baheda Fruit and Powder in Hindi
आइये जानते है बहेड़ा के फायदे जिनकी वजह से इसे कई बिमारियों से छुटकारा पाने के लिए औषधि के रूप में इस्तेमाल किया जाता है।
डायरिया में फायदेमंद- Baheda benefits in diarrhea
भारत में डायरियां के मरीजों पर हुए अध्ययन में बहेड़ा बहुत प्रभावी पाया गया। दरअसल रिसर्च में पाया गया कि बहेड़ा फल के अर्क में अमीबासाइडल और बैक्टेरिसाइडल यानी जीवाणुनाशक प्रभाव मौजूद होते हैं। ये प्रभाव दस्त का कारण बनने वाले ई. हिस्टोलिटिका, अमीबा और ई. कोली जैसे बैक्टीरिया के प्रभाव को कम कर दस्त की समस्या में राहत देने का कार्य कर सकते हैं। बहेड़ा फल का हाइड्रोक्लोरिक अर्क पेट दर्द, अपच, पेचिश, उल्टी, दस्त, कब्ज और सूजन जैसी पेट संबंधी सभी तरह की समस्याओं को दूर करने में असरदार है। मुख्यतः इसका उपयोग गैस्ट्रिक अल्सर के प्रबंधन के लिए किया जाता है।
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शुगर लेवल को रखे कण्ट्रोल- Keeps sugar level in control
विशेषज्ञों द्वारा किये गए एक अध्ययन में पाया गया कि बहेड़ा डायबिटीज के रोगियों के लिए भी प्रभावी माना जाता है। बहेड़ा फल का अर्क इंसुलिन के स्तर में सुधार करता है और ब्लड शुगर लेवल को कंट्रोल में रखता है।
ह्रदय को रखे स्वस्थ- Keep heart’s healthy
इसमें कार्डिओप्रोटेक्टिव गुण भी होता है, जिसकी वजह से यह ह्रदय स्वास्थ्य के लिए अच्छा माना जा सकता है। यह हानिकारक कोलेस्ट्रॉल को कम करने व अच्छे कोलेस्ट्रॉल के स्तर में वृद्धि कर सकता है। इसके अलावा, यह एंटी ह्यपरटेंसिव यानी उच्च रक्तचाप के जोखिम को कम करने का गुण भी प्रदर्शित कर सकता है
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फोड़े-फुंसी से दिलाये मुक्ति- Get relieve from ulcer
अगर आपका अल्सर या घाव जल्दी ठीक नहीं होता है तो इसके लिए बहेड़ा का इस्तेमाल प्राकृतिक उपचार के रूप में भी किया जा सकता है। एक शोध के अनुसार, बहेड़ा पौधे के पत्ती का इथेनॉल अर्क स्टैफिलोकोकस ऑरियस से होने वाले स्किन इन्फेक्शन का आसानी से समाधान कर सकता है।
इम्युनिटी करे बूस्ट- Boosts immunity
शोध से पता चला है कि बहेड़ा के पौधों में इम्यूनोमॉड्यूलेटरी प्रभाव हो सकता है। इम्युनोमोडुलेटर वे यौगिक होते हैं जो प्रतिरक्षा प्रणाली के काम को नियंत्रित या विनियमित करने और सामान्य करने में मदद करते हैं। इसकी वजह से बहेड़ा पाउडर से इम्युनिटी बूस्ट होती है, शरीर एक्टिव होता है और जल्दी- जल्दी होने वाले संक्रमण से राहत मिलती है।
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टाइफाइड में फायदेमंद- Beneficial in Typhoid
साल्मोनेला टाइफी नामक बैक्टीरिया की वजह से उत्पन्न होने वाली बीमारी टाइफाइड में बहेड़ा का उपयोग फायदेमंद हो सकता है। एक रिसर्च के मुताबिक टाइफाइड के लिए हर्बल उपचार के रूप में बहेड़ा का उपयोग किया जा सकता है। दरअसल, एक शोध में पता चला है कि बहेड़ा में पाया जाने वाला एंटी-साल्मोनेला प्रभाव साल्मोनेला टाइफी नामक बैक्टीरिया की वजह से होने वाले टाइफाइड से बचाव या इसकी रोकथाम में लाभदायक हो सकता है।
बहेड़ा के अन्य उपयोग व फायदे- Other benefits of baheda in hindi
- बहेड़ा को थोड़े से घी में पकाकर खाने से गले के रोग दूर होते हैं।
- बहेड़ा का छिलका और मिश्री युक्त पेय पीने से आंखों की रोशनी बढ़ जाती है।
- हाथ-पैर की जलन में बहेड़े के बीज को पानी के साथ पीसकर लगाने से लाभ मिलता है।
- बहेड़ा के चूर्ण का लेप बनाकर बालों की जड़ों पर लगाने से असमय सफेद होना रुक जाता है।
- बहेड़ा के आधे पके हुए फल को पीसकर पानी के साथ सेवन करने से कब्ज से छुटकारा मिलता है।
- बहेड़ा के पत्ते और चीनी का काढ़ा बनाकर पीने से कफ से निजात मिलती है। छाल का टुकड़ा मुंह में रखकर चूसते रहने से भी खांसी और बलगम से छुटकारा मिलता है।
बहेड़ा (बिभीतकी) के नुकसान Side effects of bibhitaki or baheda in hindi
सिक्को के दो पहलुओं के समान ही बहेड़ा के फायदे के साथ-साथ नुकसान भी हो सकते है। वैसे तो उचित मात्रा में उपयोग करने पर बहेड़ा के नुकसान की गुंजाइश नहीं है परन्तु अधिक मात्रा में सेवन करने पर कुछ सामान्य side effects देखने को मिल सकते है।
- त्रिफला के रूप में इसका गलत तरीके से उपयोग करने पर सिरदर्द, चकत्ते, मतली, गैस्ट्रिक समस्या, जैसे कि पेट फूलना और दस्त, और निर्जलीकरण की परेशानी हो सकती है।
- लंबे समय तक इसके उपयोग से आंत के प्राकृतिक बैक्टीरिया (Intestinal flora) सूख भी सकते हैं।
- बहेड़ा के अर्क का मौखिक उपयोग पुरुषों में प्रजनन क्षमता को प्रभावित कर सकता है ।
- गर्भावती महिलाओं और स्तनपान कराने वाली महिलाओं को इसका सेवन कराना हानिकारक माना गया है।
- कुछ स्थितियों में यह दवाओं के असर को भी कम कर सकता है।
- इसका सेवन रक्त को पतला करने वाली दवाएं लेने वाले लोगों और दस्त की स्थिति वालों के लिए नुकसानदायक हो सकता है।
- गलत तरीके से सेवन करने पर त्रिफला आंतों में बलगम के खंडन का कारण बन सकता है।
तो कृपया इसके इस्तेमाल से पहले किसी आयुर्वेदिक डॉक्टर से संपर्क करें। अपनी समस्या के हिसाब से बहेड़ा के सेवन का उचित मात्रा की जानकारी लें। हालाँकि यह एक नेचुरल पदार्थ है जो असर दिखाने में थोड़ा समय ले सकता है। ये समझ के की असर नहीं कर रहा इसके सेवन की मात्रा न बढाए अन्यथा फायदे की जगह नुकसान झेलना पड़ेगा। उचित मात्रा में सेवन करें और स्वस्थ एवं मस्त रहे !!
अक्सर पूछा गया सवाल- Frequently asked question
क्या बहेड़ा को रोज लेना ठीक है?
जी हाँ, बहेड़ा का बीज का सेवन औषधी के रूप में डाॅक्टर की सलाह पर रोजाना लिया जा सकता है।
क्या बहेड़ा को खाली पेट ले सकते हैं?
जी हाँ, बहेड़ा के पानी को खाली पेट लिया जा सकता है।
बहेड़ा को काम करने में कितना समय लगता है?
इसका जवाब थोड़ा मुश्किल है, क्योंकि यह अलग-अलग बीमारियों पर विभिन्न तरीके से असर कर सकता है। अगर समस्या शुरूआती स्टेज पर है तो कम समय में आराम मिल सकता है और समस्या गंभीर है तो रिकवर होने थोड़ा समय ले सकता है। चूंकि, यह एक आयुर्वेदिक औषधि है, इसलिए परिणाम में थोड़ा समय लग सकता है।
बहेड़ा की पहचान कैसे करें - How to identify baheda in Hindi
बहेड़ा का पेड़ तकरीबन 30-50 मीटर की ऊंचाई तक बढ़ता है और कम से कम 20 मीटर ऊंचाई तक इसकी शाखाएं नहीं होती हैं। पौधे के ऊपरी हिस्से की शाखाएं गोलाकार होती हैं। इसकी शाखाएं सीधी होती हैं और पत्तियां अंडाकार होती हैं। बहेड़ा के पेड़ के नए पत्ते लाल-तांबे (reddish-copper) के रंग के होते हैं, जो कि बाद में तोते के जैसे गहरे हरे रंग में बदल जाते हैं। यह बाहर की तरफ भूरी-नीली और अंदर से पीले रंग की होती हैं। इस पौधे की छाल खुरदुरी और फटी हुई दिखाई देती हैं। यह बाहर की तरफ भूरी-नीली और अंदर से पीले रंग की होती हैं।
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