प्राकृतिक तरीके से स्तन में दूध बढ़ाने का आयुर्वेदिक उपाय (Natural Way to Increase Breast Milk in Ayurvedic Way)
हर महिलाओं के लिए मातृत्व सुख सबसे सूबसूरत एहसास कराता है। शिशु को स्तनपान कराना एक माँ के लिए बहुत प्यारा और सुखद अहसास होता है। कहा जाता है कि स्तनपान कराने से मां और शिशु के बीच की बॉन्डिंग स्ट्रांग हो जाती है। माँ इतने दर्द से गुजरने के बाद शिशु को जन्म देना हमेशा ही महिलाओं के लिए खास लगता है, इसी कारण गर्भवस्था (shatavari benefits in hindi) और प्रशव के साथ सारे भय जुड़े हुई होते है। उसमे से एक डर यह भी है शिशु को ठीक से स्तनपान न करा पाने का डर शिशु के लिए माँ के दूध से परफेक्ट फ़ूड कुछ और नहीं है। लेकिन कुछ महिलाओं को ज्यादा दूध नहीं बन पाता है। जो पहली बार माँ बनी है उनको यह समस्या अधिक होती है और महिलाओं को ब्रेस्ट फीडिंग कराना थोड़ा मुश्किल साबित हो सकता है।
यह परेशानी की वजह से शिशु को भी दूध पीने में कई समस्याओं का सामना करना पड़ता है। यह नई माँ के लिए चिंता का विषय होता है। आप अगर स्तनपान से जुड़ी समस्या से परेशान है तो चिंता छोड़ दीजिये। आज हमने इस आर्टिकल में आपके सामने स्तनपान के दौरान होने वाली तमाम समस्याओं के बारे में बताया है।
चलिए जानते है की दूध की कम आपूर्ति का मतलब क्या है?
जब महिलाये पहली बार माँ बनती है तब शुरुआती दिनों मे माँ के स्तन में दूध की कमी होने की वजह से स्तनपान संबंधी समस्याएं उत्पन्न हो सकती है। माँ के स्तन में दूध की मात्रा में कमी होने की बात तब कही जाती है जब शिशु की जरूरतों को पूरा करने के लिए पर्याप्त दूध का उत्पादन करने में असमर्थ रहती है.
-> जब शिशु को अधिक दूध की जरुरत होती है।
-> जब शिशु को समय पर पूरा खाना नहीं मिलता।
माँ के स्तन में दूध की कमी का क्या कारण हो सकता है ?
बहुत सारे कारण हैं जो मां के स्तन में दूध की कमी को प्रभावित कर सकते हैं। इन कारको या मुद्दों को गंभीरता से लेने की आवश्यकता है ताकि बच्चे को पर्याप्त दूध मिल सके और भविष्य में कोई परेशानी न हो। देखते है क्या कारण हो सकता है।
-> शरीर में खून की कमी होने की वजह से
-> यदि आप अपने बच्चे को नियमित रूप से स्तनपान नहीं कराती हैं।
-> माँ को थाइरोइड या मधुमेह से पीड़ित हो।
-> यदि आपका शिशु समय से पहले या अपरिपक्व जन्मा है।
-> यदि आपको पहले से स्तन की सर्जरी हुई है या आप कोई दवाई ले रहे है की आपका दूध बनने में बाधा दे रही हो।
कोई जानकार चिकित्सक के साथ आप इस समस्या का आसानी से इलाज करवा सकते हो। जीवनशैली और आहार में बदलाव भी दूध के उत्पादन को असर करता है। इलाज करने के बाद शिशु खुशी से खाना ले सकता है।
- मोटापा भी शरीर में दूध के उत्पादन की प्रक्रिया को बाधा करने का कारण है।
- प्रसव के समय तनाव भी दूध के स्तर को कम करता है।
- महिलाओं के ध्रूमपान करने से भी दूध की पर्याप्त मात्रा बनने में परेशानिया होती है।
- कुछ दवाओं का उपयोग करने से भी समस्या उत्पन्न हो सकती है।
कैसे बनाई स्तनपान के लिए दूध ?
दूध की मात्रा बढ़ाने के लिए कई तरीके हैं ताकि शिशु को विकास और पोषण के लिए उच्च मात्रा में दूध मिल सके.
मेथी का सेवन:- मेथी एक प्राकृतिक चीज़ है, जिसका उपयोग महिलाओं के स्तन में दूध की बढ़ोतरी करने मे मदद करता है। इसलिए मेथी दूध के उत्पादन को बढ़ाने में भी मदद करती है। जिस महिलाओं ने मेथी का सेवन किया है उनको एक-दो दिन भीतर में भी दूध के उत्पादन में बढ़ोतरी देखी है। इसलिए खाने में भी मेथी का प्रयोग करना चाहिए।
सौंफ का सेवन:- सौंफ महिलाओं के दूध को बढ़ाने में मदद करता है। इसलिए सौंफ को चाय या अन्य तरह से खाने से दूध की बढ़ोतरी करता है।
पालक का सेवन:- पालक लौह तत्व से भरपूर होता है। इसके सेवन से शरीर में लौह तत्व को बढ़ाने में काफी मदद करता है। पालक महिलाओं को दूध बढ़ाने के साथ जोड़ा गया है। इसलिए पालक का सेवन करना फायदेमंद होता है.
करेला का सेवन :- करेला में भरपूर मात्रा में विटामिन पाया जाता है। उसमे स्तन का दूध बढ़ाने की क्षमता ज्यादा होती है। करेला बनाते समय हल्के मसाले का उपयोग करना चाहिए जिससे स्वास्थ सही रहे और आसानी से पच सके।
लहसुन का सेवन:- लहसुन स्वास्थ के लिए बहुत लाभकारी माना गया है। लहसुन का सेवन करने से कई बीमारियों से बचाव और दूध मात्रा में भी बढ़ोतरी होती है। कच्चा लहसुन भी बीमारियों से बचाता है। अगर आप लहसुन को प्रतिदिन खाना शुरू कर देंगी तो आपके स्तनों में दूध की वृद्धि होने लगेगी.
उसके अलावा आयुर्वेद में शतावरी जड़ी-बूटी का उपयोग करके एक आयुर्वेदिक पाउडर बनाया है। जो महिलायो के स्तन के दूध को बढ़ाता है। AR AYURVEDA ने शतावरी जड़ी-बूटी का उपयोग करके "शतावरी पाउडर" का निर्माण किया है। (shatavari ke fayde) यह शुद्ध आयुर्वेदिक उत्पाद है जो महिलाओं के लिए फायदेकारक पाउडर है। यह उत्पाद आरोग्य विभाग द्वारा प्रमाणित है तथा साथ ही इस कंपनी को GMP और ISO द्वारा स्वीकृत प्रदान किया गया है। उसके इस्तेमाल से किसी भी प्रकार का दुष्प्रभाव का खतरा नहीं है।
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